Recently there was controversy in Maharashtra over exams held by Railway reservation board.
MNS and Shivsena tried to protest and stop this exam. They are being criticized by entire media.
Here is a truth. Every Punjabi, Gujarati and Maharashtrian should protest
In 1976, Central home ministry created guidelines based on which the India is divided into three lingual zones
* Group A (Hindi Zone): This includes All hindi speaking states like UP, Bihar, Rajastan, Madhya-pradesh, harayana, delhi etc.
* Group B: This includes all the developed non-hindi states. Maharastra, Gujarat and Punjab (chandigarh included)
* Group C: This includes rest of the states.
Everything was going fine with this division. Each zone was conducting exam in the local language and all the schedule of all the exams used to get published in the local newspapers.
But in 1988, there was a change made in this guideline. For Zone B, Hindi was made an alternate language, making people from Zone A eligible to write exams conducted in Zone B. Also it was made clear in this guideline that the advertise of these exams will get published in the local news papers of Zone A and not in Zone B. So people in Zone B always have to rely on employment news and not on the local newspaper. Most of the time Employment news goes out of circulation. So many people in Zone B miss the exams.
Shivsena is fighting for it since 1988. But no one listen to them. The national media is biased. Hence now Shivsena is coming on roads since last 3-4 years on this. This treatment is unjust for all people in Punjab, Gujrat and Maharashtra.
Everyone should protest against these regulations.
Tuesday, October 21, 2008
Truth of RRB exams
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1 comment:
मै इस आर्टिकल का समर्थन करता हू । मै खुद एक उत्तर भारतीय हु...जो मुंबई में पला बडा है । मै पेशे से मुक्त पत्रकार हूं और पुरे राजनीती की अच्छी तरह से जानकारी रखता हूं ।
राज ठाकरे को गाली देना अच्छी बात नही..वास्तविकता में वह गंदे राजकारण से परे है, अभी की बात है...उनके एक इशारे पर १९०० कर्मचारियों कि नौकरीया बची जेट एअरवेज में, उसमे सिर्फ़ ८९ महाराष्ट्रीअन थे और बाकी के दुसरे राज्योसे आये हुये लोग ।
वास्तविकता यह है की उत्तर भारतीयोंकी संख्या मुंबई में २५ लाख के करिब पहुंच चुकी है, जो की मतदान में काफ़ी निर्णायक प्रभाव डाल सकती है । उसका फ़ायदा उठाके समाजवादी पार्टी वहा पें अपना धाक जमाना चाहती है । उनके नेता अबु आझमी पेहले मुसलमानोंकी राजनिती करते थे और अब मुसलमान और उत्तर भारतीयों को मिलाके अपनी राजनिती करना चाहते है । उन्होनेही ये आग भडकायी, लाठींया बाटके राज ठाकरे के घर पे मोर्चा ले गये थे बिना वजह के, तब पेहला पथराव हुआ था । बाद में राज ठाकरे ने एक वक्तव्य में कहा की आप लाठी बाटोगे तो हम तलवार । और फ़िर सनसनी के खोज में पडी हुयी उत्तर भारतीय मिडिआ भी राज के पिछे हाथ धोके पड गयी । खुद राज भी यही चाहता था । सत्ताधारी कॊंग्रेस भी चाहती है के राज को लोकप्रियता मिले ताकीं वोह हिंदु वोटों में (जो शिवसेना भाजप को मिलती थी) बटवारा कर पायें भाषिक आधार पर । यही कारण है की राज के हर छोटी बात को मिडीआ में उछालकर उसे हिरो बनाया गया । और राज भी हमेशासे असली मुद्दो को उठाता रहा जिसमें सच्चाई हो (जैसे के रेल्वे परिक्षाओंका मुद्दा), इसिलिये वह हिरो बना है यहा।
हम उत्तर भारतीय यहां शांती से जिंदगी बसर कर रहे थे, पर अब हमारे राज्य के राजनीतीयों के वजह से हमे तकलीफ़ हो रही है । मै लालु, मुलायम और मायावती से दरखास्त करता हूं की आप अपने राज्य की और ध्यान दे..अगर आप लोगों ने हमारे युपी को / बिहार को सुधारा होता तो हमे हमारी मातृभुमी छोडने की नौबत ही नही आती।
जय हिंद, जय महाराष्ट्र ।
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